राजा घृणी ब्रह्मणा सर्वभक्षी
स्त्री चात्रपा दुष्टमति: सहाय: |
प्रेष्य: प्रतिपोsधिकृत: प्रमादी
त्याज्या अमी यश्च कृतं न वेत्ति ||
पदविभाग:
राजा घृणी ब्रह्मणा सर्वभक्षी स्त्री च अत्रपा दुष्टमति: सहाय:
प्रेष्य: प्रतिप: अधिकृत: प्रमादी
त्याज्या अमी य च कृतं न वेत्ति
अन्वय:
घृणी राजा सर्वभक्षी ब्रह्मणा: अत्रपा स्त्री दुष्टमति: सहाय: प्रतीप: प्रेष्य: प्रमादी अधिकृतं य: च कृतं न वेत्ति - अमी त्याज्या:
तात्पर्यम्
दयालु: नृपति: सर्वभक्षी द्विज: लज्जारहिता स्त्री, दुष्टविचार: सेवक: विपरितकारी दूत: दोषकारी, अधिकारी कृतघ्न: च अपि त्याज्या:
A Wrathful king. Brahmin who eats everything, Women without Shame, a bad servant, a disobeying messenger, irresponsible person in authority and an ungrateful person are to be abandoned.
सन्धि:
च + अत्रपा = चात्रपा , सवर्ण दीर्घ सन्धि:
प्रतीप: + अधिकृत: = विसर्ग उकारः ,गुण सन्धि:, पूर्वरूपम्
य: + च = विसर्गः सकार:
You are doing a Great Work. Keep it up Sir
ReplyDeleteKasiviswanathan Coimbatore
Thank you Sir. Its all Gurus Grace. Pranams
Deleteअत्र घृणी सर्वभक्षी स्त्री शब्दानां प्रयोजनं किम्?
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